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चित्र साभार: गूगल |
एक छोटा सा कमरा जहाँ कोई खिड़की नही है जहां से धूप उतरती हो, हर जगह बस आर्टिफिशल लाइटें। आज दुनिया सभ्य हो चुकी है, जंगल काटे जा चुके हैं, सारे जानवर मारे जा चुके हैं, वर्षा थम चुकी है और पृथ्वी आग के गोले की तरह तप रही है। बेशक हमे बिजली और ईंधन से काफी ऊर्जा मिलती है लेकिन सवाल है आखिर कबतक? आपकी बिजली से चलने वाली लाइटे क्या कभी सुकून और न खत्म होने वाली एक ऊर्जा दे सकती है? दे सकती है क्या? ऐसे में हमारे पास एक उम्मीद की किरण सोलर एनर्जी या कहें सौर ऊर्जा है।
सूर्य से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा को हम सौर ऊर्जा के नाम से जानते हैं। मौसम और जलवायु का परिवर्तन करने में भी इसी का हाथ होता है। या यूं कहें कि पशु, पक्षी, मानव, कीट, पतंगे सभी का यही सहारा है।
सौर ऊर्जा का मकसद:
सौर ऊर्जा का मकसद विज्ञान व संस्कृति के एकीकरण तथा संस्कृति व प्रौद्योगिकी के उपकरणों के प्रयोग द्वारा सौर ऊर्जा को भविष्य के लिए अक्षय ऊर्जा का स्त्रोत साबित करना है। इसका अत्यधिक विस्तारित होना, अप्रदूषणकारी होना व अक्षुण होना इसे और प्रमुख बनाता है। सूर्य की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलना इसका मुख्य काम है।
भारत में पारंपरिक इलेक्ट्रिक लैम्प को बदलने के लिए उजाला कार्यक्रम के तहत 30 करोड एलईडी बल्ब का वितरण किया गया है जिसके परिणामस्वरूप चार गीगाबाइट बिजली और दो अरब डॉलर की बचत हुई है।
आज इसका उपयोग करने में हम पीछे नही है उदाहरण के लिए:
- सौर पाचक(सोलर कुकर)- उष्मा द्वारा खाना पकाने से विभिन्न प्रकार के परंपरागत ईंधनों की बचत होती है अबतक लगभग 4,60,000 सोलर कुकर बिक्री किये जा चुके हैं।
- सौर वायु उष्मन- इससे खुले में अनाजों व अन्य उत्पादों को सुखाते समय होने वाले नुकसान कम किये जा सकते हैं।
- सौर स्थापत्य- इसके चलते परंपरागत ऊर्जा(बिजली व ईंधन) की बचत की जा सकती है।
- सौर फोटो वोल्टायिक कार्यक्रम- इसमे सूर्य की रोशनी को सेमीकंडक्टर की बनी सोलर सेल पर डाल कर बिजली पैदा की जाती है।
- सौर लालटेन- एक हल्का ढोया जाने वाला फोटो वोल्टायिक यंत्र है। अबतक लगभग 2,50,000 के ऊपर इनकी बिक्री देश के ग्रामीण इलाकों में हो चुकी है।
ऐसे ही सौर जल पम्प, ग्रामीण विद्युतीकरण(एकल बिजली घर), सार्वजनिक सौर प्रकाश प्रणाली, घरेलू सौर प्रणाली आदि।
आज वैश्विक सौर ऊर्जा के प्रोमोटर भारत ने फ्रांस के साथ अंतरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन शुरू किया है जिसमे कर्क और मकर रेखा के बीच आने वाले देशों को मिलने वाली पर्याप्त सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा सके इसकी शुरुवात के लिए दोनों देश ने 2.7 करोड डॉलर का योगदान भी दिया है।
और तो और अभी हाल ही में नवी मुम्बई में देश का पहला सूर्य ऊर्जा आधारित चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया गया है। इसे मैजेंटा पावर नामक कंपनी ने तैयार किया है। इससे देश मे कार्बन उत्सर्जन करने वाले वाहनों की संख्या में धीरे धीरे कमी आयेगी।
परेशानी क्या है?
परेशानी यह है की आज घनी आबादी और स्मार्ट सिटी की चकाचौंध में हम पर्यावरण को भूल ही गए हैं। इस अधमरी अपढ़ जाति को भला दिशा को देगा? ऐसे में सौर ऊर्जा को वैकल्पिक ऊर्जा के रूप में प्रचारित करते हुए इस्तेमाल को बढ़ाना समय की मांग है। और यही आखिरी विकल्प भी है।
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