फ़िल्म: लुकाछिपी
निर्देशन: लक्ष्मण उतेकर
लेखकः रोहन शंकर
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फ़िल्म का एक दृश्य |
मथुरा की संकरी गलियों से शुरू हुई ये कहानी लुकाछिपी ट्रेंड में चल रहे लिव इन रिलेशनशिप के बारे में है। जहां कार्तिक आर्यन उर्फ गुड्डू और कृति सेनन उर्फ रश्मि कहानी के मुख्य किरदार के रूप में हैं। वहीं पर साइड रोल में अपारशक्ति खुराना गुड्डू के दोस्त अब्बास के रूप में हैं और पंकज त्रिपाठी एक ऐसे किरदार में हैं जो गुड्डू की जासूसी और उसे परेशान करने में लगे रहते हैं। वहीं कृति सेनन के पिता का किरदार विनय पाठक ने निभाया है जो संस्कृति रक्षा मंत्री होते हैं।
कहानी क्या है?
ऐसे में कार्तिक आर्यन और कृति सेनन एक न्यूज असाइनमेंट के चलते एक दूसरे के करीब आते हैं जहां उन दोनों को एक दूसरे से प्यार होजाता है। अब सवाल आता है शादी का तो कृति सेनन यानी रश्मि शादी से पहले लिव इन का सुझाव देती है। बाद में चलकर छिपते-छिपाते लुका- छिपी करते करते उनका लिव इन का सच सामने आ ही जाता है। हालांकि घिसते पीटते कहानी अंत मे शादी तक पहुँच ही जाती है।
कहानी शुरू से अंत तक बेहद ही प्लेन प्लाट पर चलती है जिसमें लिव इन को लेकर कोई क्रांतिकारी स्टेप नही दिखाया गया है। वहीं पर लुकाछिपी के पुराने लीपापोती वाले गाने कहीं न कहीं दर्शकों को थोड़ा निराश भी करते हैं।
प्रश्न क्या है?
जिस देश में राधा कृष्ण को प्रेम की मूरत माना जाता हो और फिर भी वहां 'प्रेम' को जबतक किसी बन्धन में नही बांधा जाता या जबतक उसे किसी रिश्ते का नाम नही दिया जाता तबतक उसे अपवित्र ही माना जाता हो ऐसे में जो सवाल ज़ेहन में उतरता है वह है कि क्या हमारा समाज लिव इन के लिए तैयार है? जिस समाज में अभी तक प्रेम विवाह को भी मंजूरी न मिली हो वहां लिव इन की बात करना भी जायज़ होगा? क्या हमारा समाज भारतीय संस्कृति को छोड़ पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रहा है?
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