दिक्कत ये नहीं है कि राइट वाले लेफ्ट वालों की बात काटते हैं। दिक्कत ये है कि अगर JNU से जुड़े किसी भी मुद्दे पर तुम जरा सा असहमत हो जाओ या उनकी हां में हां न मिलाओ या चलो कोई illogical सा लॉजिक देकर तुम उनकी बात भी काट दो तो सब तुमको संघी/राइट विंग का तमगा दे देते हैं। तो भाई समझो इस बात को JNU को सपोर्ट करने वाला हर इंसान LEFTIST नहीं होता और उनका विरोध करने वाला हर इंसान RIGHTIST नहीं होता। हो सकता है वो genuinely तुम्हारी बात से सहमत/असहमत हो। तो तुम पहले इस राइट और लेफ्ट वाली धारणा से बाहर आ जाओ। न मैने 'राइट आइडियोलॉजी' को पढ़ा है और न ही 'लेफ्ट आइडियोलॉजी' को....मुझे नहीं है इतना ज्ञान और न तुमसे चाहिये। मुझसे ये बेफिजूल के 'right or left वाले question', 'jnu की history तुम्हे पता है?', 'टुकड़े टुकड़े', 'देश विरोधी नारे', 'jnu की ये प्रथा वो प्रथा', 'उनका रहन-सहन', या वो 'कितनी महंगी सिगरेट फूंकते हैं', 'वो किस गाड़ी से आते हैं', 'इस उम्र के लोग वहां पढ़ रहे हैं' जैसे unnecessary question न किये जाएं। सीधी सी बात है JNU में fee hike हुआ है। मुझे मतलब नहीं है वो 2 रुपये है या 200 रुपये वो लोग fee hike का विरोध कर रहे हैं जो अच्छा है। कहीं और फीस बढ़ रही है तो भाई करो ना विरोध, कर दो मार्च संसद तक, बैठ जाओ धरने पर ....तुम्हारा भी साथ देंगे सबलोग....पर करो तो सही जिस दिन कर लोगे उस दिन बता देना।
मुद्दा ये है ही नहीं की वो 10 रुपये देने या 10,000 रुपये देने के काबिल हैं या नही मुद्दा ये है कि ये फीस हर जगह बढ़ क्यों रही है? मुद्दा ये है कि इतनी फीस भरेगा कौन? मुद्दा ये है कि कबतक ये स्कूल की, कॉलेज की, यूनिवर्सिटी की फीस बढ़ती रहेगी? कबतक इस देश का हर बाप loan लेकर तुमको पढ़ायेगा? कबतक हर किसान अपने खेत, अपनी ज़मीन बेचकर तुमको बड़े बड़े कॉलेज में भेजेगा? कबतक तुम्हे पढ़ाने के लिए तुम्हारी मां की शादी में मिला सोना गिरवी रखा जाएगा? कबतक IIMC की सीट केवल इसलिए ही खाली रहेंगी कि उसकी फीस एक या डेढ़ लाख है? कबतक? किसी न किसी को तो कहना होगा ना कि 'अब बस बहुत हुआ, अब फीस नहीं बढ़ेगी, हम नहीं देंगे इतनी फीस, हम नहीं है काबिल इतनी फीस देने के'। वो फीस हर साल बढाते जायँगे तुम भरते जाओगे? कभी न कभी तो हमे उन्हें बताना होगा न कि भाई हमारे बस के बाहर है इतनी फीस देना..तभी न कुछ solution निकलेगा?
तो सुनो बे जब भी तुमको लगे न कि 'बस' 500-600 रुपये ही तो बढ़े हैं इतनी फीस तो दे सकते हैं...एकबार बस एकबार अपने पापा को फ़ोन घुमाना और उनसे अपना नाम लेकर पूछना कि 'डैडी हमारी फीस 500-600 रुपये बढ़ गयी है कम करवानी चाहिए या नही?' उनका जवाब तुमको सब बता देगा।
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