यार! मुझे नहीं लगता किसी अंजान के लिए भी न्याय मांगने वाला इंसान इतना संवेदनहीन हो सकता है। किसी भी 'गलत' को सेलिब्रेट करने से ज्यादा खतरनाक समाज के लिए और कुछ भी नहीं है। रिया के साथ हो रहा मीडिया ट्रायल गलत है। सुशांत के लिए न्याय मांगना और रिया के साथ हो रहे बर्ताव को एप्रिशिएट करना दोनों अलग चीज़े हैं।
जिस संविधान की रात दिन दुहाई देकर आप 'हक' और 'इंसाफ' की बात कर रहे हैं दोस्त वही संविधान रिया को ये भरोसा देता है कि उसकी भावनाएँ भी उतनी ही मूल्यवान हैइस वक़्त टीवी का रिमोट पकड़कर बैठे हुए हर किसी व्यक्ति की है। अगर अभी भी आप इसे गलत नहीं कह पा रहे हैं तो मेरी नज़र में आप बिना रस्सी के भी बंधे हुए हैं, बिना मलिनता के भी दागी हैं। शिखर पर होते हुए भी गिरे हुए हैं। गडमड मत कीजिये।
जिस तरह कहा जाता है कि हिंसा के भाले दोमुँहे होते हैं, ठीक वैसे ही मीडिया ट्रायल है। यह इसका सहारा लेने वालों को उनके दुश्मनों से अधिक घायल करता है/कर रहा है/आगे और भी ज्यादा करने वाला है।
किसी 'अपराधी' के साथ संवेदनाएं नहीं होनी चाहिए। बेशक। लेकिन किसी 'आरोपी' के साथ हो रहे गलत को भी गलत न कह पाएं इतनी संवेदनहीनता भी तो नहीं होनी चाहिए ना यार।
आज वो हैं कल आप हो सकते हैं....
Picture credit: Mir Suhail Sir.
#SSRcase
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