ये छत्तीसगढ़ में लगने वाला एक मेला है, गंगरेल मड़ई। दीवाली के बाद पहले शुक्रवार को यह मड़ई मेला आयोजित करवाया जाता है। इस साल भी लगा था। जो इन महिलाओं की पीठ पर चलते दिख रहे हैं आपको इन्हें लोकल में 'बैगा' कहा जाता है, कहा जाता है कि इनपर माता सवार होती है और ये बेसुध से होकर इन औरतों के ऊपर से गुजरते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से महिलाओं को संतान प्राप्ति होती है। महिलाएं पेट के बल बाल खोलकर लेट जाती हैं और ये 'बैगा' इनके ऊपर से जाकर इन्हें आशीर्वाद देते हैं कि तुमको संतान प्राप्ति होगी।
सुना-अनसुना
Tuesday, November 24, 2020
भारत के मेले: छत्तीसगढ़ का 'मड़ई मेला' जहां मिलता है औरतों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
Thursday, October 1, 2020
Be lethal, be brutal, go for kill...
तो लड़कियों अब क्या? अब तुम्हारे पास दो रास्ते हैं:
पहला,
आसपास हो रहे कुकृत्यों को देखकर परेशान होते रहिए, खुद को और सिस्टम को कोसते रहिए, हर दिन अपने आसपास हो रही घटनाओं को देखकर ये सोचते रहिए कि 'हमारे साथ ही क्यों'।
या फिर मान लीजिये कि,
पुरुषतांत्रिक समाज में औरत ही शिकार हैं। 'आप' शिकार हैं। आपको हर दिन, हर पल चौकन्ने रहना है। किसी पर भी अंधभरोसा करना छोड़ दीजिए। किसी पर भी नहीं। शक की निगाहों को हमेशा खुला रखिये। संगठित रहिए। एक- दूसरे के प्रति सहयोग में हाथ मिलाती रहिए। आपको क्या लगता है आसमान से गिरा यह पुरुषतंत्र लोहे का बना हुआ है? नहीं बल्कि इंसान के द्वारा बनाया गया है.....जी हां आप और मैं इसे टिकाए रखने के लिए जी-जान से लगे पड़े हैं…अनजाने में ही सही पर लगे हुए हैं..... आपके संगठन से ही पुरुषतंत्र में गहरी दरारें पड़ सकती हैं। "BE LETHAL, BE BRUTAL, GO FOR KILL" को चरितार्थ करते हुए कर दीजिए इस बने बनाये सिस्टम को चूर-चूर और बना दीजिये इस दुनियां को रहने लायक क्योंकि दोस्त पराधीनता आपका आश्रय नहीं है।
तस्लीमा नसरीन अपनी किताब 'औरत का कोई देश नहीं' में लिखती हैं, "असल में बदमाशी उजाले या अंधेरे पर निर्भर नहीं करती। यह मानसिकता पर निर्भर करती है और मानसिकता सुशिक्षा पर निर्भर करती है। सुशिक्षा निर्भर करती है, शिक्षा-व्यवस्था पर! शिक्षा व्यवस्था निर्भर करती है, राजनीति पर! समता के विश्वासी नारी-पुरुष, जब तक वैषम्य को जड़ से नहीं उखाड़ फेंकतें, जब तक व्यवस्थाओं में आमूल परिवर्तन नहीं होता, तब तक नारी को चूहों की तरह बस जीते रहना होगा। विपत्ति देखते ही बिल में छिप जाना होगा। लेकिन चूहों के बिल में ही क्या चूहे की सुरक्षा कायम रहती है? जैसे निरीह चूहे की सुरक्षा नहीं होती, वैसे ही नारी की भी सुरक्षा नहीं होती।"
और लड़कों तुम्हारे लिए इतना ही कि यार....
समाज में रह रही औरतें कहीं भी अधूरी नहीं हैं, सम्पूर्ण इंसान हैं और इंसान के तौर पर उसके प्रति जितनी श्रद्धा अर्पित करनी चाहिए, वह सब उनका प्राप्य है! बहुत बेसिक चीज़ है। आप एहसान नहीं कर रहे हैं। बस इतना याद रखिये कि ये दुनिया जो बनी है इतनी सुंदर ये हमने ही बनाई है, हम सबके लिए। आपकी माँ, आपकी बहन, आपकी प्रेमिका, आपकी बीवी, आपकी दोस्त, आपकी बेटी ने आपको हमेशा अपना दिल निचोड़कर प्यार दिया है।
हमें शर्मिंदा मत कीजिये!!!🙏🏻
Tuesday, September 29, 2020
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता वाला देश..
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2016 से 2019 के बीच महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध 20% तक बढ़े हैं। 2015 में यह संख्या 35,908 थी, 2016 में 49,262....2017 में बढ़कर हुई 56,011 और 2018 में 59,445।
2018 में 3,946 रेप केस रजिस्टर हुए हैं। भारत जैसे देश में कागज़ी और असल के आंकड़े में जमीन आसमान का फर्क होता है। ये भी संख्या कागज़ी है, असल में कितने हैं इसका अनुमान आप लगा सकते है ।
हाथरस में जिस 19 साल की बच्ची का रेप हुआ था, अब नहीं रही। 'बच्ची' ही कहूंगी, 'महिला' नहीं।
एन्टी रोमियो स्क्वाड की जगह 'एन्टी रेप स्क्वाड' या 'एन्टी हरर्समेंट् स्क्वाड' बनवा दीजिये। शायद कुछ सुधार आ जाये।
खैर! आप फिर भी रहिए और रखिये हमें भी यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः वाली खुमारी में।
(Source: The Hindu)
Wednesday, September 9, 2020
इंटरसेक्शनलिटी’ से आप क्या समझते हैं?
'इंटरसेक्शनलिटी' का मतलब उन चित्रों और चरित्रों से है जिसे समाज द्वारा रचा गढ़ा गया है। ये वो सामाजिक और राजनैतिक आस्पेक्ट्स हैं जिनके आधार पर कोई भी महिला या पुरुष भेदभाव या किसी भी प्रकार की ऊंच-नीच का सामना करता है। इसमें लिंग, वर्ग, जाति, समुदाय, धर्म, योग्यता, शारीरिक बनावट इत्यादि के माध्यम से समाज को उन्हें कमज़ोर या 'उनसे अलग', 'कमतर' जैसे सर्टिफिकेट प्रदान करने का मौका मिल जाता है। आज के समाज की अगर बात करें तो जात-पात, लिंग, साम्प्रदायिकता जैसी कुत्सित चीजें सालों-सालों से टिकी हुई हैं और अब जैसे जैसे वक्त गुज़र रहा है और इंसान जैसे और धर्मान्ध होता जा रहा है, कुसंस्कारों से और ज्यादा ढंकता जा रहा है और ज्यादा संकीर्ण होता जा रहा है।
यह शब्द 'इंटरसेक्शनलिटी' सबसे पहले किम्बरले विल्लिअम्स द्वारा प्रयोग में लाया गया था। उसके बाद से ही इस शब्द को नारीवाद के साथ जोड़कर देखा जाने लगा है। आज महिलाएं लगभग हर क्षेत्र में समाज द्वारा बनाये गए इस ताने-बाने का सामना कर रही है। नारीवादी सिमोन द बेऑवर अपनी किताब 'द सेकंड सेक्स' में लिखती हैं कि 'औरतें पैदा नहीं होती, बनाई जाती हैं' बस इसी को शेप देने का काम 'इंटरसेक्शनलिटी' कर रहा है। लेकिन आज कहीं ना कहीं समाज के बनाये हुए इन राजनैतिक और सामाजिक ताने-बाने को तोड़कर महिलाएं आगे आ रही हैं क्योंकि सदियों से चली आ रही प्रथाओं और सामाजिक व्यवस्था वाली जंजीरें टूटने की आवाज़ सबसे मधुर होती है।
Monday, September 7, 2020
#JusticeForSSR में मीडिया ट्रायल की भूमिका
यार! मुझे नहीं लगता किसी अंजान के लिए भी न्याय मांगने वाला इंसान इतना संवेदनहीन हो सकता है। किसी भी 'गलत' को सेलिब्रेट करने से ज्यादा खतरनाक समाज के लिए और कुछ भी नहीं है। रिया के साथ हो रहा मीडिया ट्रायल गलत है। सुशांत के लिए न्याय मांगना और रिया के साथ हो रहे बर्ताव को एप्रिशिएट करना दोनों अलग चीज़े हैं।
जिस संविधान की रात दिन दुहाई देकर आप 'हक' और 'इंसाफ' की बात कर रहे हैं दोस्त वही संविधान रिया को ये भरोसा देता है कि उसकी भावनाएँ भी उतनी ही मूल्यवान हैइस वक़्त टीवी का रिमोट पकड़कर बैठे हुए हर किसी व्यक्ति की है। अगर अभी भी आप इसे गलत नहीं कह पा रहे हैं तो मेरी नज़र में आप बिना रस्सी के भी बंधे हुए हैं, बिना मलिनता के भी दागी हैं। शिखर पर होते हुए भी गिरे हुए हैं। गडमड मत कीजिये।
जिस तरह कहा जाता है कि हिंसा के भाले दोमुँहे होते हैं, ठीक वैसे ही मीडिया ट्रायल है। यह इसका सहारा लेने वालों को उनके दुश्मनों से अधिक घायल करता है/कर रहा है/आगे और भी ज्यादा करने वाला है।
किसी 'अपराधी' के साथ संवेदनाएं नहीं होनी चाहिए। बेशक। लेकिन किसी 'आरोपी' के साथ हो रहे गलत को भी गलत न कह पाएं इतनी संवेदनहीनता भी तो नहीं होनी चाहिए ना यार।
आज वो हैं कल आप हो सकते हैं....
Picture credit: Mir Suhail Sir.
#SSRcase
Saturday, July 25, 2020
'अगले जन्म में चाहें जानवर बन जाएं पर औरत नहीं बनना चाहतें'- फूलन देवी
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फूलन देवी |
Friday, July 3, 2020
Book Review: 'She Said' by Jodi Kantor and Megan Twohey
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Book Cover |
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Harvey Weinstein |
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Jodi Kantor and Megan Twohey |
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Rebacca Corbett |
भारत के मेले: छत्तीसगढ़ का 'मड़ई मेला' जहां मिलता है औरतों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
ये छत्तीसगढ़ में लगने वाला एक मेला है, गंगरेल मड़ई। दीवाली के बाद पहले शुक्रवार को यह मड़ई मेला आयोजित करवाया जाता है। इस साल भी लगा था। जो इन ...
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मेवात का एक गांव एक उजड़ा-सा गांव है, घरों की छतों और गली की मुंडेरों से झांकती कुछ घूँघट ओढ़े महिलाएं हैं, हमे देखते कुछ मर्द हैं, घरो...
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"जनाब तब क्यूँ सूरज की ख़्वाहिश करते हैं लोग, जब बारिश में सब दीवारें गिरने लगती हैं।"- सलीम कौसर। रानी की छतरी वायलेट लाइ...
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चित्र साभार: गूगल एक छोटा सा कमरा जहाँ कोई खिड़की नही है जहां से धूप उतरती हो, हर जगह बस आर्टिफिशल लाइटें। आज दुनिया सभ्य हो चुकी है, ...